Loan guarantor Rule: आप किसी के लिए लोन गारंटर बनने जा रहे हैं, तो सावधान रहिए। गारंटर बनना केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक गंभीर वित्तीय जिम्मेदारी होती है। अगर लोन लेने वाला व्यक्ति भुगतान करने में असफल होता है, तो बैंक कानूनी तौर पर गारंटर से भी पैसे की वसूली कर सकता है। इसलिए इस प्रक्रिया को हल्के में न लें और गारंटर बनने से पहले इसके नियमों को अच्छे से जान लें।
गारंटर की कानूनी जिम्मेदारी
भारतीय बैंकिंग नियमों के अनुसार, गारंटर की भूमिका केवल नाम भर की नहीं होती। वह लोन के लिए सह-जिम्मेदार होता है। अगर लोन लेने वाला व्यक्ति डिफॉल्ट करता है, तो बैंक सबसे पहले लोन लेने वाले से वसूली करेगा, लेकिन अगर उससे वसूली संभव नहीं होती, तो बैंक गारंटर से पूरी रकम की वसूली कर सकता है। बैंक इसे वैधानिक रूप से कर सकता है क्योंकि गारंटी देने वाला व्यक्ति खुद उस ऋण के लिए एक प्रकार से सह-उधारकर्ता माना जाता है।
गारंटी देने से पहले जानें क्रेडिट इफेक्ट
किसी के लिए गारंटर बनने से आपके क्रेडिट स्कोर पर भी असर पड़ सकता है। यदि लोन लेने वाला भुगतान नहीं करता है और मामला डिफॉल्ट तक पहुंचता है, तो इसका नेगेटिव इफेक्ट आपके सिबिल स्कोर पर भी पड़ेगा। इससे आपके खुद के भविष्य के लोन और क्रेडिट कार्ड लेने में परेशानी हो सकती है। कई बार गारंटर को बिना गलती के आर्थिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
गारंटी से जुड़ी शर्तें समझना जरूरी
गारंटी देने से पहले लोन डॉक्युमेंट्स और गारंटी संबंधी शर्तों को अच्छे से पढ़ना बेहद जरूरी है। अक्सर लोग बिना पढ़े दस्तखत कर देते हैं, जिससे बाद में कानूनी परेशानी हो सकती है। बैंक गारंटी देने वाले से लोन की पूरी जानकारी साझा करता है, और अगर आप दस्तावेजों को सही से नहीं समझते तो इसमें आपका ही नुकसान होता है। नियमों के मुताबिक आप दस्तावेजों की कॉपी मांग सकते हैं।
बिना अनुमति गारंटी से बाहर नहीं आ सकते
गारंटी एक बार देने के बाद आप उससे स्वतः बाहर नहीं हो सकते। जब तक लोन पूरी तरह चुका नहीं दिया जाता या बैंक आपको लिखित रूप से मुक्त नहीं करता, तब तक आप जिम्मेदार माने जाते हैं। कई लोग सोचते हैं कि वह बाद में नाम हटवा सकते हैं, लेकिन यह तभी संभव है जब बैंक सहमत हो और ऋणदाता दूसरा गारंटर दे। अन्यथा आपकी जिम्मेदारी बनी रहती है।
गारंटर बनने से पहले क्या सावधानियां लें
किसी के लिए गारंटी देने से पहले उसकी वित्तीय स्थिति, लोन राशि, भुगतान क्षमता और उसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छे से जांच लें। सिर्फ रिश्तेदारी या भावनात्मक कारणों से गारंटर बनना खतरनाक साबित हो सकता है। साथ ही सुनिश्चित करें कि आपकी अपनी वित्तीय स्थिति ऐसी हो कि अगर कभी आपको वह लोन चुकाना पड़े तो आप सक्षम हों। एक बार गारंटर बनने के बाद आप पूरी कानूनी प्रक्रिया में शामिल माने जाते हैं।
बैंक की वसूली प्रक्रिया कैसे होती है
अगर लोन अकाउंट डिफॉल्ट में चला गया तो बैंक सबसे पहले नोटिस भेजता है। अगर ऋणदाता जवाब नहीं देता, तो बैंक SARFAESI Act या कोर्ट के माध्यम से वसूली की प्रक्रिया शुरू करता है। इसमें गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता है। अगर गारंटर चुकाने से इनकार करता है, तो उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। इसलिए समय रहते समाधान निकालना जरूरी होता है।
डिस्क्लेमर
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। बैंक और वित्तीय संस्थानों के नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। सटीक जानकारी के लिए संबंधित बैंक से संपर्क करें या किसी अधिकृत वित्तीय सलाहकार की सहायता लें।