अब किराएदार नहीं सहेंगे मनमानी, मिल गए 6 कानूनी अधिकार Tenant Rights in India

By Rekha Gupta

Published On:

Tenant Rights in India

Tenant Rights in India: भारत में किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब कानून किरायेदारों को भी कई अधिकार देता है, जिनकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने किरायेदारों के हितों की रक्षा के लिए कई नियमों में बदलाव किए हैं। अब किरायेदारों के पास ऐसे अधिकार हैं जो उन्हें मनमानी किराए, जबरन बेदखली और अन्य शोषण से बचाते हैं।

किराया तय करने का अधिकार

मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराया तय करना आपसी सहमति से होता है, लेकिन इसमें मनमानी नहीं हो सकती। रेंट कंट्रोल एक्ट के अनुसार, किराया क्षेत्र की स्थिति, मकान की उम्र और सुविधाओं के आधार पर तय किया जाना चाहिए। यदि मकान मालिक बाजार से बहुत अधिक किराया मांगता है, तो किरायेदार संबंधित प्राधिकरण से शिकायत कर सकता है। इससे किरायेदारों को अनुचित आर्थिक दबाव से राहत मिलती है।

WhatsApp Floating Button WhatsApp Button

बिना नोटिस के नहीं कर सकते बेदखल

कोई भी मकान मालिक किरायेदार को अचानक घर खाली करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। रेंट एग्रीमेंट में जो अवधि तय की जाती है, उसमें किरायेदार को रहने का पूरा अधिकार होता है। अगर मकान मालिक को मकान खाली करवाना है तो उसे तय अवधि से पहले नोटिस देना अनिवार्य है। आमतौर पर यह नोटिस अवधि 30 से 90 दिनों की होती है, जो किरायेदार को तैयारी का पर्याप्त समय देती है।

यह भी पढ़े:
New B.Ed Course Rule अब एक साल में बन सकेंगे शिक्षक, B.Ed कोर्स को लेकर आया बड़ा बदलाव New B.Ed Course Rule

रेंट एग्रीमेंट का लिखित होना जरूरी

कानून के अनुसार किराया संबंधी हर एग्रीमेंट लिखित रूप में होना चाहिए। इसमें किराया, जमा राशि, अवधि, किराया बढ़ोतरी की शर्तें और मकान मालिक व किरायेदार के अधिकार स्पष्ट होने चाहिए। यह दस्तावेज दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करता है और भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी प्रमाण के रूप में उपयोगी होता है। बिना लिखित एग्रीमेंट के स्थिति विवादास्पद हो सकती है।

सुरक्षा जमा राशि पर स्पष्ट नियम

मकान मालिक सुरक्षा के तौर पर किरायेदार से एडवांस राशि ले सकता है, लेकिन इसकी कोई सीमा निर्धारित है। कई राज्यों में यह राशि दो से तीन महीने के किराए से अधिक नहीं होनी चाहिए। किरायेदारी समाप्त होने पर यह राशि बिना कटौती के लौटाई जानी चाहिए, बशर्ते कोई नुकसान न हुआ हो। अगर मकान मालिक मनमाने तरीके से कटौती करता है तो किरायेदार न्यायिक उपाय अपना सकता है।

मकान की मरम्मत का जिम्मा

मकान की सामान्य मरम्मत का जिम्मा मकान मालिक का होता है, जबकि छोटे-मोटे रखरखाव जैसे बल्ब बदलना या नल ठीक कराना किरायेदार का। अगर मकान मालिक बार-बार शिकायत के बावजूद जरूरी मरम्मत नहीं करता है, तो किरायेदार स्वयं मरम्मत कराकर खर्च को किराए से समायोजित कर सकता है, बशर्ते यह एग्रीमेंट में स्पष्ट हो। इस अधिकार से किरायेदारों को बेहतर रहने की सुविधा मिलती है।

यह भी पढ़े:
BSNL Cheapest Recharge Plan BSNL का धमाकेदार ₹150 रिचार्ज प्लान लॉन्च – 2025 में मिलेगा 70 दिन की वैधता, जानिए क्या-क्या है फायदे

गोपनीयता और सम्मान का अधिकार

किरायेदार को भी अपने किराए के मकान में गोपनीयता और सम्मानपूर्वक रहने का पूरा अधिकार है। मकान मालिक बिना पूर्व सूचना के मकान में प्रवेश नहीं कर सकता। यह नियम किरायेदार की निजता की रक्षा करता है। अगर कोई मकान मालिक बार-बार परेशान करता है या धमकाता है तो किरायेदार पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है या न्यायालय का सहारा ले सकता है।

डिस्क्लेमर

यह लेख भारतीय किरायेदारी कानून और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित नियमों पर आधारित है। अलग-अलग राज्यों में किरायेदारी संबंधी कानूनों में कुछ अंतर हो सकता है। सटीक जानकारी और व्यक्तिगत कानूनी सलाह के लिए किसी अधिकृत अधिवक्ता या कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करना उचित होगा।

यह भी पढ़े:
NSP Scholarship Apply Online 75000 रूपए की स्कॉलरशिप के फॉर्म भरना शुरू NSP Scholarship Apply Online

Leave a Comment