किसानों को बड़ी राहत, अब हर एकड़ पर मिलेंगे ₹4000, आवेदन की अंतिम तारीख 10 जुलाई

By Rekha Gupta

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4000 per acre scheme for farmers

4000 per acre scheme for farmers: हरियाणा सरकार ने किसानों को आर्थिक राहत और सिंचाई के बढ़ते संकट से निपटने के लिए एक अहम कदम उठाया है। खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही सरकार ने धान की सीधी बिजाई (Direct Seeding of Rice – DSR) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रति एकड़ ₹4,000 की सब्सिडी देने की घोषणा की है। इस तकनीक से न केवल जल संरक्षण होगा, बल्कि किसानों की लागत भी घटेगी। आइए जानते हैं इस योजना के सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से।

धान की सीधी बिजाई पर प्रोत्साहन

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को धान की सीधी बिजाई तकनीक (DSR) अपनाने के लिए प्रोत्साहन राशि देने की योजना बनाई है। इसके तहत किसानों को प्रति एकड़ ₹4,000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस योजना के लिए ₹120.80 करोड़ का बजट जारी किया गया है। यह योजना उन किसानों को प्रोत्साहित करेगी जो पारंपरिक विधियों को छोड़कर नई तकनीक की ओर बढ़ना चाहते हैं। डीएसआर तकनीक से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि श्रम लागत भी घटती है, जिससे किसान को लाभ होता है।

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विभाग ने तय किया लक्ष्य

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने इस वर्ष कुल 3.02 लाख एकड़ भूमि पर डीएसआर विधि से धान की बुवाई का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्ष यह लक्ष्य 2.25 लाख एकड़ था। सिरसा जिले में सर्वाधिक 85 हजार एकड़ का लक्ष्य रखा गया है, जबकि करनाल में 30 हजार, फतेहाबाद और हिसार में 25-25 हजार, और कुरुक्षेत्र में 22 हजार एकड़ में सीधी बिजाई होगी। अन्य जिलों जैसे जींद, सोनीपत, कैथल, पानीपत और अंबाला में भी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

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पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 जुलाई

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 जुलाई 2025 तय की गई है। सत्यापन के बाद डीबीटी माध्यम से सीधे किसान के खाते में राशि भेजी जाएगी। योजना ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर संचालित होगी। डीएसआर मशीन खरीदने पर भी सरकार 50% तक की सब्सिडी दे रही है जिससे किसानों को और अधिक सहायता मिल सके।

डीएसआर तकनीक तेजी से बन रही है विकल्प

पारंपरिक रोपाई के मुकाबले डीएसआर तकनीक कई मामलों में बेहतर साबित हो रही है। इसमें सीड ड्रिल मशीन से सीधे खेतों में बीज बो दिए जाते हैं जिससे जुताई और बुवाई का कार्य एक साथ होता है। इससे पानी की 20–25% तक बचत होती है और खेती की लागत भी घटती है। हालांकि, कुछ किसानों को खरपतवार प्रबंधन और उपज को लेकर चिंता है, लेकिन कृषि विभाग इस पर मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है और तकनीक के फायदे किसानों को समझा रहा है।

शिविर और दौरे से मिलेगा मार्गदर्शन

कृषि विभाग जल्द ही जिलों में जागरूकता शिविर आयोजित करेगा। इनमें किसानों को डीएसआर तकनीक के लाभों की जानकारी दी जाएगी। विभागीय अधिकारी डीएसआर अपनाने वाले खेतों का दौरा भी करेंगे ताकि अन्य किसान भी इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें। अंबाला जिले के डीडीए डॉ. जसविंदर सैनी के अनुसार, विभाग सभी जिलों में लक्ष्य हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।

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जल संकट के समाधान में मददगार तकनीक

हरियाणा जैसे राज्यों में जहां भूजल स्तर गिरता जा रहा है, वहां डीएसआर तकनीक खेती के लिए एक स्थायी समाधान बन सकती है। कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली यह विधि कृषि को अधिक टिकाऊ बना सकती है। सरकार का यह कदम केवल किसानों को राहत देने के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक सार्थक प्रयास है।

डिस्क्लेमर

यह समाचार विभिन्न सरकारी स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। योजना से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी या लाभ लेने से पहले संबंधित विभाग या आधिकारिक पोर्टल से पुष्टि अवश्य करें। किसी प्रकार की त्रुटि या बदलाव की स्थिति में ChatGPT जिम्मेदार नहीं होगा।

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